भारत संस्कृति न्यास देश की सरकार से यह अपेक्षा करता है कि वह शीघ्रातिशीघ्र भारत का राष्ट्रीय सांस्कृतिक एजेण्डा सामने ले आए। यह विडम्बना है कि भारत वर्ष को आजाद हुए इतने वर्षों के बाद भी देश में न तो कोई सांस्कृतिक नीति बनी है और न ही इसका कोई एजेण्डा है।
देश में अब तक की सरकारों ने कला, साहित्य, संस्कृति, कानून, शिक्षा और समाज के अन्य क्रियाकलापों के लिए विभिन्न आयोगों का गठन तो किया लेकिन किसी सरकार को यह चिन्ता नहीं हुई कि संस्कृति जैसे व्यापक विषय को दृष्टिगत रखते हुए एक राष्ट्रीय संस्कृति आयोग बनाया जाए।
भारत में इस समय विभिन्न विश्वविद्यालयों की स्थापना का क्रम चल रहा है। सरकारों ने पारम्परिक विश्वविद्यालयों के अलावा तकनीकी, मेडिकल, स्पोर्टस् आदि विश्वविद्यालय स्थापित करने की दिशा में अनेक कदम उठाये हैं।
देश में प्राथमिक से लगायत उच्च शिक्षा तक के पाठ्यक्रमों में संस्कृति शिक्षा को अनिवार्य बनाए जाने के लिए भारत संस्कृति न्यास संकल्पबद्ध है। न्यास की कोशिश है कि सभी राष्ट्रीय और राज्य शिक्षा बोर्डों के पाठ्यक्रमों में संस्कृति शिक्षा को अनिवार्य रूप से स्वतंत्र विषय के रूप में शामिल किया जाए।
देश में वर्तमान परिवेश और अतीत से नई पीढ़ी को जोड़ने तथा समाज को सभ्य एवम् सुसंस्कृत बनाने के लिए गम्भीर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत संस्कृति न्यास ने काम करना शुरू किया है। न्यास की स्थापना के पीछे काफी शोध एवम् विमर्ष के बाद यह पाया गया कि देश में अभी तक अपना कोई सांस्कृतिक और शैक्षिक एजेण्डा तय नहीं हो सका है। इतिहास के पन्ने पलटने पर पता चलता है कि जब अंग्रेज लोग भारत पर शासन करने आए तो उन्होंने भारत वर्ष का पूरब से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक व्यापक अध्ययन किया। इस अध्ययन को पूरा करने के बाद ब्रिटिश संसद में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। उस रिपोर्ट में यह बताया गया कि भारत एक ऐसा देश है जिसमें कोई दरिद्र और कोई भिखारी तथा अज्ञानी नहीं रहता। इस देश पर शासन करने के लिए आवश्यक है कि देश वासियों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से काटा जाये। भारत की सांस्कृतिक जड़ें इतनी गहरी है कि उन्हें नष्ट करने में काफी समय लगेगा। ब्रिटिश संसद ने इस रिपोर्ट को प्रस्तुत करने वाले लार्ड मैकाले ने नए ब्रिटिश भारत के लिए व्यापक शैक्षिक और सांस्कृतिक नीति भी प्रस्तुत की थी। यह विडम्बना है कि भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद हुए इतने वर्षों के बाद भी इस देश में अभी तक अपनी कोई व्यापक शैक्षिक और सांस्कृतिक नीति नहीं बन सकी है। वैसे भी भारत में पहली बार 2014 के लोक सभा चुनाव के बाद विशुद्ध देशी, भारतीय सोच वाली सरकार अस्तित्व में आई है। अब यह लगने लगा है कि नए भारत का निर्माण होने जा रहा है, ऐसे में भारत संस्कृति न्यास ने जिन उद्देश्यों के साथ पहल की है वे इस प्रकार हैं -
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